Sunday, 1 November 2015

कहीं आपके पीठ दर्द का कारण स्पाइनल स्टेनोसिस तो नहीं ?



आजकल  पीठ  का दर्द होना एक बहुत आम सी बात बन चुकी  है। एक किषोर से लेकर एक वृद्ध व्यक्ति तक , हर किसी को पीठ का दर्द किसी  ना किसी रूप में है। हर किसी को अलग अलग प्रकार का दर्द होता है, इसी  तरह का एक दर्द स्पाइनल स्टेनोसिस होता  है। 

स्पाइनल स्टेनोसिस के कारणवर्ष , हमारे शरीर की डिस्क उभरने लगती है और साथ ही ऊतकेँ मोटी होने लगती है जिसके कारण रीढ़ नलिका से जाने वाली नस सिकुड़ने लगती है। 
ज़्यादातर बुज़ुर्ग  लोगों  में देखा जाने वाला  यह रोग अब युवा पीढ़ी में, वो भी बहुत भारी संख्या में निदान किया जा रहा है जिसका सीधा संबंध उनके लाइफस्टाइल से है। 

स्पाइनल स्टेनोसिस में हमारी रीढ़ की हड्डी में मौजूद खुले स्थान बंद होने लगते है जिसके कारण हमारी मेरुदंड(स्पाइनल कॉर्ड) और नसों पर दबाव पड़ने लगता है। ज़्यादातर मामलों में स्पाइन का सिकुड़ना, स्टेनोसिस होने के कारण ही होता है, जिसके कारण नर्व रुट दबने लगता है।  इसकी वजह से पैरों में दर्द, थकान, अकड़न, वे झुनझुनाहट महसूस हो सकती  है। 

इसका निदान करना बहुत मुश्किल हो सकता है क्युंकि इस तरह के लक्ष्ण किसी ओर  कारणवर्ष भी हो सकते हैं। जिन लोगों को स्टेनोसिस हो, यह ज़रूरी नहीं की उन्हे पहले कभी पीठ में दर्द हो या कभी किसी तरह की चोट लगी हो। आम तौर पर स्पाइनल स्टेनोसिस में, अचानक से पीठ में दर्द होता है जो की आराम करने पर चला जाता है और ये दर्द चलते वक़्त भी महसुस  हो सकता है। 

स्पाइनल स्टेनोसिस दो प्रकार के होतें हैं- लुम्बर स्टेनोसिस और सर्वाइकल स्टेनोसिस। अगर रोग अधिक न बढ़ा हो,  तो स्टेनोसिस को सर्जरी किए बिना भी उपचार मुमकिन  है।  यह बहुत ज़रूरी है की मरीज़ शारीरिक रूप से सक्रिय रहे क्यूोंकि  इससे स्पाइनल स्टेनोसिस जल्दी ठीक हो सकता है, छोटे  छोटे बदलावों से जैसे कि  स्ट्रेट जैकेटेड कुर्सी  की जगह झुकने वाली कुर्सी की  इस्तेमाल करना, अच्छा परिणाम ला सकता है। 
एपिडरल इंजेक्शन से भी लगभग 50% लोगों को   ठीक किया जा सकता है। आगे चलकर यह इंजेक्शन जिन लोगों को सर्जरी करानी पढ़ती है उनके जल्दी  ठीक होने में सहायक भी सिद्ध होता है। जब सब मर्ज़ विफ़ल हो जाये तो सर्जरी एक सही निर्णेय होता है। पर सर्जरी कोई गभराने की बात नहीं है क्योंकि इस में बेहद ही उत्साह वर्धक नतीज़े होते है। सिर्फ़ कुछ बातों की सावधानियां बरतनी चाईए। 

सबसे पहले इस सर्जरी को करने से पहले मरीज़ के शारीरिक स्वास्थय को ध्यान में रखना बहुत मह्त्वपूर्ण होता  है। फिर डॉक्टर को इस बात का ध्यान रखना चाईए की वह क्षति ग्रस्त नब्ज को पहचाने और उसी का  उपचार करे। उपचार करते वक्त पूरी सावधानी बरती जाये की कोई और नब्ज को नुक्सान न पहुँचे। यहाँ एक सर्जन के कौशल पर बहुत कुछ निर्भर करता है। 

अगर यह सब  सावधनिया बरती जाएं तो सर्जरी दर्द  से  निवारण का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। 
 

सर्जरी होने के कुछ समय बाद तक मरीज़ को आराम करने को कहा जाता है और साथ ही कुछ दवाइयों का सेवन करने को भी कहा जाता है ताकि सूजन काम हो। पेट और पीठ के निचले हिस्से के लिए ज़्यादा चलने और व्यायाम  करने की  भी नसीहत दी जाती  है और गरम पानी से नहाना, बर्फ लगाने से भी रीढ़ स्थिर रहती है।

No comments:

Post a Comment